Friday, April 19, 2019

हार्दिक को थप्पड़ मारने वाले ने कहा- आंदोलन की वजह से गर्भवती पत्नी को परेशानी उठानी पड़ी थी

सुरेंद्रनगर. कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल शुक्रवार को गुजरात के सुरेंद्रनगर में चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान एक व्यक्ति ने मंच पर आकर हार्दिक को थप्पड़ मार दिया। हार्दिक के समर्थकों ने आरोपी को पकड़कर पीट दिया। पुलिस ने बीच-बचाव कर युवक को भीड़ से बचाया और हिरासत में ले लिया। थप्पड़ मारने वाला व्यक्ति महेसाणा जिले का रहने वाला तरुण गज्जर है। उसने कहा कि पाटीदार आंदोलन के वक्त मेरी पत्नी गर्भवती थी। उसका अस्पताल में इलाज चल रहा था। उस दौरान मुझे कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। तभी मैंने तय कर लिया था कि इस आदमी को मारूंगा। इस आदमी को किसी भी तरह सबक सिखाऊंगा।

तरुण ने कहा- अहमदाबाद में हार्दिक की रैली के दौरान मैं अपने बच्चे के लिए दवाएं लेने गया था। इस दौरान सबकुछ बंद था। वह सड़कें बंद कर देता है, वह जब चाहता है गुजरात बंद कर देता है। वह कौन है? वह गुजरात का हिटलर है? तरुण ने पाटीदार आंदोलन के दौरान मारे गए 14 युवकों की हत्या के लिए हार्दिक को जिम्मेदार ठहराया। वह हार्दिक के कांग्रेस में शामिल होने के विरोध में भी चिल्ला रहा था।

हार्दिक ने कहा- हमलावर बाहरी है स्थानीय नहीं

पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के पूर्व नेता हार्दिक का गुजरात गृहराज्य है। वे सुरेंद्रनगर जिले के वढवाण तालुका के बलदाणा गांव में कांग्रेस की जन आक्रोश रैली को संबोधित कर रहे थे। हार्दिक ने इस घटना के बाद भी अपना संबोधन जारी रखा। उन्होंने बाद में पत्रकारों से कहा कि यह उन्हें डराने के लिए भाजपा की साजिश है। हमलावर बाहरी है स्थानीय नहीं। भाजपा मुझ पर हमले करवा रही है। वे मुझे जान से मारना चाहते हैं, लेकिन हम चुप नहीं रहेंगे। हार्दिक ने इस संबंध में थाने में शिकायत दर्ज कराई है।

भाजपा प्रवक्ता नरसिम्हा राव पर जूता फेंका
इससे पहले गुरुवार को भाजपा कार्यालय में पार्टी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक व्यक्ति ने जूता फेंका था। यह पहली बार है जब भाजपा कार्यालय में ऐसी कोई घटना हुई। बताया जा रहा है कि जीवीएल प्रेस कॉन्फ्रेंस में भोपाल से भाजपा की प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा की उम्मीदवारी पर बात कर रहे थे। जीवीएल ने घटना के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं रोकी और पत्रकारों से बैठे रहने को कहा। उन्होंने कहा कि हमलावर ने कांग्रेस की मानसिकता दर्शाई है। इस दौरान भाजपा के महासचिव भूपेंद्र यादव भी मंच पर मौजूद थे। जूता फेंकने वाले की पहचान कानपुर के डॉ. शक्ति भार्गव के रूप में हुई, जो अपने आपको व्हिसल ब्लोअर बताता है।

2014 में एनडी तिवारी ने रोहित को अपना बेटा स्वीकार किया था
रोहित अपने पिता एनडी तिवारी के साथ लंबे समय तक चले पितृत्व विवाद को लेकर चर्चा में आए थे। वे लंबे समय तक रोहित को अपना बेटा मानने से इनकार करते रहे थे। 2014 में तिवारी ने अदालत के आदेश के बाद रोहित को अपना बेटा स्वीकार कर लिया था। एनडी तिवारी का 93 वर्ष की आयु में 18 अक्टूबर 2018 को निधन हो गया था।

मैनपुरी. उत्तर प्रदेश में 24 साल बाद सपा नेता मुलायम सिंह यादव और बसपा प्रमुख मायावती एक मंच पर नजर आए। मैनपुरी में दोनों दलों की संयुक्त रैली में मायावती ने मुलायम के लिए प्रचार किया। मायावती ने कहा- मुलायम सिंह जी असली, वास्तविक हैं। वे भाजपा की तरह नकली या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह फर्जी रूप से पिछड़े वर्ग के नहीं हैं। मुलायम को मैनपुर में आप रिकॉर्ड तोड़ वोटों से जिताएं।

वहीं, मुलायम सिंह ने इस रैली में मायावती का आभार जताया। कहा- बहुत दिनों बाद साथ आने के लिए मायावतीजी का अभिनंदन करता हूं। उम्मीद है कि सपा-बसपा का गठबंधन राज्य में भारी मतों से जीतेगा। आज मायावतीजी आई हैं। उनका हम स्वागत करते हैं, आदर करते हैं। मायावती जी का बहुत सम्मान करना हमेशा, क्योंकि समय जब भी आया है, मायावती जी ने हमारा साथ दिया है। हमें खुशी है कि हमारे समर्थन के लिए वे आईं हैं।

Monday, April 15, 2019

क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019: एमएसके प्रसाद और अन्य चयनकर्ता ख़ुद कितना खेले

भारत जैसे देश में जहाँ क्रिकेट गली-गली में खेला जाता है, गेंद-बल्ले के इस खेल की लोकप्रियता का आलम ये है कि एक तरफ़ मैच चल रहा होता है और दूसरी तरफ़ स्टेडियम में या टीवी से चिपककर मैच देख रहा तकरीबन हर शख्स अपना एक्सपर्ट कमेंट दे रहा होता है.

ऐसे में तो उन लोगों की ज़िम्मेदारी का अंदाज़ा लगाया ही जा सकता है कि तीसरी बार भारत को विश्व चैंपियन बनाने के इरादे से सात समंदर पार भेजी जा रही टीम चुनने का दारोमदार जिन व्यक्तियों पर था, वो अपने 'टेस्ट' में कामयाब हुए या नहीं.

टीम के चयन का ज़िम्मा बीसीसीआई की राष्ट्रीय चयन समिति पर था और इसकी अगुवाई कर रहे थे एमएसके प्रसाद. प्रसाद के अलावा समिति में देवांग गांधी, शरणदीप सिंह, जतिन परांजपे और गगन खोड़ा शामिल रहे.

दिलचस्प ये है कि वनडे के दुनिया के सबसे अहम टूर्नामेंट वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया का चयन करने वाले इन पंचों का वनडे इंटरनेशनल का बहुत अधिक अनुभव नहीं है.

एमएसके प्रसाद एंड कंपनी का वनडे अनुभव देखा जाए तो पाँचों ने कुल मिलाकर सिर्फ़ 31 वनडे मैच खेले हैं और इनमें से किसी को वर्ल्ड कप में खेलने का मौका भी नहीं मिला.

तो एक नज़र उन चयन समिति के उन 'पंचों' पर जिन्होंने वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया का चयन किया.

एमएसके प्रसाद- मुख्य चयनकर्ता
43 साल के मन्नवा श्रीकांत प्रसाद आंध्र प्रदेश के गुंटूर में पैदा हुए. विकेटकीपर बल्लेबाज़ रहे प्रसाद ने आंध्र प्रदेश की तरफ़ से प्रथम श्रेणी मैचों में छह शतक ज़रूर लगाए, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका प्रदर्शन दमदार नहीं रहा.

कुल जमा छह टेस्ट और 17 वनडे मैचों का अनुभव एमएसके प्रसाद के पास है. प्रसाद ने वनडे मैचों में 14.55 के मामूली औसत से 131 रन बनाए और उनका उच्चतम स्कोर रहा 63 रन. विकेट के पीछे उन्होंने 14 कैच लपके और सात मर्तबा अपनी फुर्ती से बल्लेबाज़ों को स्टंप आउट किया.

प्रसाद ने 14 मई 1998 को मोहाली में बांग्लादेश के ख़िलाफ़ अपने वनडे करियर की शुरुआत की थी. उस मैच में उन्हें बल्लेबाज़ी का मौका नहीं मिला. मुक़ाबले में उन्होंने ना तो कोई कैच लपका और न ही वो कोई स्टंपिंग कर सके.

इसे संयोग ही कहा जाएगा कि प्रसाद का आख़िरी वनडे मुक़ाबला भी पहले मैच की तरह ही फ़ीका रहा. दिल्ली में 17 नवंबर 1998 को वो आख़िरी बार भारत की वनडे टीम से खेले और उस मैच में भी ना तो उन्हें बल्लेबाज़ी का मौका मिला, न ही कोई कैच या स्टंपिंग ही उनके खाते में आई.

देवांग को 17 नवंबर 1999 को टीम इंडिया की वनडे कैप मिली थी. दिल्ली के फ़िरोज़शाह कोटला मैदान पर न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ बतौर सलामी बल्लेबाज़ उतरे देवांग अपनी पारी को 30 रन से आगे नहीं बढ़ा सके थे.

बंगाल की तरफ़ से खेलने वाले देवांग ने तीन वनडे मैचों में 16.33 के मामूली औसत से 49 रन बनाए. उनका वनडे करियर ढ़ाई महीने से अधिक नहीं खिंच सका और 30 जनवरी 2000 को उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ पर्थ में अपना आख़िरी वनडे मैच खेला.

पंजाब के अमृतसर में जन्में शरणदीप सिंह का अंतरराष्ट्रीय अनुभव भी कुछ ख़ास नहीं है. दाएं हाथ के ऑफ़ ब्रेक गेंदबाज़ रहे शरणदीप सिंह को कुल जमा 3 टेस्ट और 5 वनडे मैचों का अनुभव है. शरणदीप ने 5 वनडे मैचों में 15.66 की औसत से 47 रन बनाए हैं.

31 जनवरी 2002 को दिल्ली में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ अपने वनडे करियर की शुरुआत करने वाले शरणदीप अपना करियर 18 अप्रैल 2003 से अधिक नहीं खींच सके और ढाका में दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ मुक़ाबला उनका आख़िरी वनडे इंटरनेशनल मैच साबित हुआ.

परांजपे ने 28 मई 1998 को ग्वालियर में कीनिया के ख़िलाफ़ पहला वनडे मैच खेला था, लेकिन चोट के कारण वो अपना करियर लंबा नहीं खींच सके. परांजपे ने अपना चौथा और आख़िरी वनडे पाकिस्तान के ख़िलाफ़ टोरंटो में खेला. इस मैच में वो सिर्फ़ एक रन ही बना सके थे.

गगन खोड़ा
दाएं हाथ के बल्लेबाज़ गगन खोड़ा ने घरेलू क्रिकेट में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया. 1991-92 में अपने पहले ही रणजी मैच में खोड़ा ने शतक जड़कर सुर्खियां बटोरी थी.

प्रथम श्रेणी मैचों में 300 का उच्चतम स्कोर बनाने वाले खोड़ा का अंतरराष्ट्रीय करियर दो वनडे मैचों से आगे नहीं बढ़ सका. खोड़ा ने अपना पहला मैच 14 मई 1998 को बांग्लादेश के ख़िलाफ़ मोहाली में खेला था.

Monday, April 8, 2019

तकनीक जिससे कचरे के पहाड़ का डर दूर होगा

दुनिया भर में करीब डेढ़ करोड़ लोग हर दिन कचरे के ऊंचे-ऊंचे ढेर में अपनी रोजी-रोटी तलाशते हैं.

शहरों के बाहर लगे कूड़े के पहाड़ पर वे ऐसी चीज़ें ढूंढते रहते हैं, जिनको बेचकर कुछ पैसे कमा सकें.

लकड़ी, प्लास्टिक और धातु की पुरानी चदरों से झोपड़ियां बनाकर वे वहीं रहते हैं.

मेडिकल और इलेक्ट्रॉनिक कचरे, घरेलू कूड़ा-करकट, टूटे हुए कांच, यहां तक कि ज़हरीले कचरे के पास भी लाखों परिवार बसते हैं.

कूड़े के पहाड़ों पर हमेशा भूस्खलन का ख़तरा रहता है. ये अस्थिर पहाड़ बिना किसी चेतावनी के कभी भी धंसने लगते हैं.

मनीला का पायतास डंप फिलीपींस की सबसे बड़ी "कचरा बस्तियों" में से एक है, जहां लगभग 10 हज़ार लोग रहते हैं.

2000 में कचरे का यह पहाड़ ढह गया जिससे 30 मीटर ऊंचा और 100 मीटर चौड़ा भूस्खलन हुआ था. उस हादसे में 200 से ज़्यादा लोगों की जान चली गई थी.

2015 में इथोपिया की राजधानी के बाहर बना कचरे का विशाल ढेर ढह गया था. आसपास की झोपड़ियां कचरे के नीचे दब गईं और 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी.

ख़तरनाक और ज़हरीला
ऐसी आपदाओं में फंसे लोगों के बचने की संभावना बेहद कम रहती है. ज़हरीला कचरा और ढेर के नीचे बनने वाली मिथेन गैस उनको ज़िंदा नहीं छोड़ती.

कूड़े-करकट के ढेर लगातार बढ़ रहे हैं. वर्ल्ड बैंक की "व्हाट अ वेस्ट" रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक दुनिया भर के लोग हर साल 340 करोड़ टन कचरा पैदा करेंगे. फिलहाल साल में 201 करोड़ टन कचरा निकलता है.

ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है जो दो सप्ताह पहले ही संभावित भूस्खलन का पूर्वानुमान लगा सकता है.

इससे कचरा बस्तियों में रहने वालों की जान बचाई जा सकती है और इंजीनियरों को हालात संभालने का मौका मिल सकता है.

कृत्रिम मेधा पर आधारित यह व्यवस्था अनुप्रयुक्त गणित की मदद से आने वाले ख़तरे के संकेतों को पहचानती है.

कूड़े का पहाड़ फटकर गिरने से पहले उसमें दरारें बनती हैं और छोटी-छोटी हलचलें होती हैं.

उम्मीद है कि मशीनी बुद्धि वाली यह व्यवस्था आने वाले दिनों में कचरे के ढेर की निगरानी करने और आने वाली आपदाओं को रोकने में मददगार होगी.

मेलबर्न में शोध
मेलबर्न यूनिवर्सिटी में विज्ञान की प्रोफेसर और इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका एंटोनेट टॉर्डेसिलस कहती हैं, "हम दानेदार सामग्रियों में होने वाली हलचल के डेटा का अध्ययन कर रहे हैं.

उनके प्रयोगशाला प्रयोगों में विभिन्न तरह की दानेदार सामग्रियों (जैसे- रेत, कंक्रीट, सेरामिक, चट्टान वगैरह) को शामिल किया गया. उनके ढेर बनाए गए और यह देखा गया कि कब वह ढेर बिखरने लगा.

टॉर्डेसिलस कहती हैं, "हमने ढेर के ध्वस्त होने से पहले होने वाली हलचलों की लय का पता लगाया है."

उनकी तकनीक सही पैटर्न की पहचान करने वाली कृत्रिम मेधा को तैयार करने में भौतिकी के नियमों का उपयोग करती है.

एल्गोरिद्म से सही डेटा हासिल करने के लिए जमीन की गति, ढेर के बिखरने की गति और भूस्खलन के ट्रिगर्स, जैसे बारिश का ध्यान रखा जाता है.

प्राकृतिक ढलान धरती के चट्टानों और मिट्टी से बनते हैं जो हज़ारों साल से एक-दूसरे से बंधे हुए हैं.

इसके उलट, कचरे का पहाड़ ठोस कूड़े जैसे प्लास्टिक, कांच, धातु के टुकड़े, कार्बनिक पदार्थ, कागज और इसी तरह की दूसरी चीज़ों से बनता है.

ये सब एक दूसरे पर पड़े रहते हैं जब तक कि कोई बाहरी ताक़त इन्हें छेड़ न दे.

कचरे के ढेर कई कारणों से अस्थिर हो सकते हैं, जैसे- कूड़े करकट को सही तरीके से न रखना, पानी निकलने का सही इंतजाम न होना, कार्बनिक कचरे का सड़ जाना, नीचे की जमीन में फिसलन होना, नमी बढ़ना, मिथेन गैस के कारण धमाके होना और डिजाइन क्षमता से अधिक कचरे को डंप करना.

नाइजीरिया की कॉन्वेनांट यूनिवर्सिटी में जियोटेक्निकल इंजीनियरिंग के लेक्चरार इसाक अकिनवुमी कहते हैं, "इनमें से कुछ कारक प्राकृतिक ढलानों पर होने वाले भूस्खलन के मुक़ाबले कूड़े के पहाड़ गिरने की भविष्यवाणी को मुश्किल बनाते हैं."

इस तरह के हादसों का पूर्वानुमान लगाने वाली तकनीक विकासशील देशों के लिए ज़्यादा महत्वपूर्ण है.

अमरीका और ब्रिटेन जैसे देशों के कानून जितनी ढलान की इजाजत देते हैं विकासशील देशों में उससे कहीं ज़्यादा तीव्र ढलान होती है.

कचरे के ढेर अमरीका-ब्रिटेन की तरह दबाकर नहीं रखे जाते और कचरा प्रबंधन करने वाली कंपनियों के लिए वहां की स्थिरता प्राथमिकता नहीं है. ये सब मिलकर भूस्खलन की प्रवृत्ति को प्रभावित कर सकते हैं

अकिनवुमी कहते हैं, "यदि प्रोफेसर टॉर्डेसिलस का उपकरण पूर्व चेतावनी दे सकता है तो यह भूस्खलन आपदाओं को रोकने में बहुत महत्वपूर्ण उपकरण होगा."

वास्तव में, ऐसी तकनीक डेटा को कार्रवाई-योग्य गोपनीय सूचना में बदलने में सक्षम हो सकती है.

इससे मिली सूचना आपातकालीन उपाय करने या लोगों को वहां से हटाने के बारे में फैसला करने में मदद कर सकती है.

चुनौती बाकी है
प्रस्तावित मशीनी मेधा को उपयोग लायक बनाने के लिए शोधकर्ताओं को कचरा प्रबंधन संगठनों के साथ मिलकर वित्तीय, राजनीतिक और नियामक बाधाओं को दूर करना होगा.

उदाहरण के लिए, इंडस्ट्री के विशेषज्ञों को इस बात के सबूत की जरूरत होगी कि यह तकनीक कारगर है.

जोखिम का आंकलन करने और तकनीक को लगाने में पैसे की जरूरत होगी. स्थानीय ऑपरेटर इस ख़र्च को वहन करने के लिए शायद तैयार न हों.

स्थानीय निवासियों का विस्थापन भी मुश्किल हो सकता है.

यह तकनीक कचरे के ढेर से जुड़ी पर्यावरण की दीर्घकालिक समस्याओं को भी ख़त्म नहीं कर सकती.

भूस्खलन के कारण ही कचरा प्रबंधन करने वाले प्रमुख संगठन मांग कर रहे हैं कि इन कूड़े के पहाड़ों को बंद कर दिया जाए और उनकी जगह आधुनिक सुविधाओं वाले या नियंत्रित लैंडफिल्स बनाए जाएं.

उत्तरी अमरीका के सॉलिड वेस्ट एसोसिएशन (SWANA) के सीईओ डेविड बिडरमैन कहते हैं, "यह तकनीक कचरे के पहाड़ पर होने वाले भूस्खलन की बढ़ती समस्या का समाधान दे सकती है या नहीं, इसे देखने के लिए इसका परीक्षण उचित है."

बिडरमैन कचरे के पहाड़ पर बसी बस्तियों की समस्या से परिचित हैं. वह कहते हैं, "डंप साइट्स को बंद करने से पहले यह एक अच्छा अंतरिम समाधान हो सकता है."

अंतरिम समाधान
ठोस कचरा एक बढ़ती हुई समस्या है. यह न सिर्फ़ पास में रहने वाले लोगों को प्रभावित करता है, बल्कि हजारों किलोमीटर दूर बैठे लोग भी इससे प्रभावित होते हैं.

देशों और शहरों की आबादी जैसे-जैसे बढ़ रही है और वे सुखी-संपन्न हो रहे हैं, नागरिकों को ज़्यादा उत्पाद और सेवाएं मिल रही हैं, व्यापार बढ़ रहा है उसी अनुपात में कूड़ा-कचरा भी बढ़ रहा है

नई तकनीक कोई रामबाण नहीं है. यह अभी भी प्रारंभिक चरण में ही है. फिर भी इसमें संभावना है कि वह कचरा आपदा राहत प्रयासों को बदल दे.

भूस्खलन का पूर्वानुमान हो जाए तो उसकी रोकथाम के उपाय किए जा सकते हैं और आपदा की स्थिति में अंतराष्ट्रीय मदद हासिल करने में भी सहूलियत हो सकती है.

Friday, April 5, 2019

ईडी के आरोप पत्र में लिखा- मिशेल ने ‘एपी’ का जिक्र अहमद पटेल के लिए किया

नई दिल्ली. अगस्ता वेस्टलैंड मामले में गिरफ्तार आरोपी क्रिश्यिचन मिशेल ने एपी की पहचान कांग्रेस नेता अहमद पटेल के तौर पर की है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी चार्जशीट में इसका जिक्र किया है। चार्जशीट गुरुवार को कोर्ट में पेश की गई थी।

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी। इसमें कहा गया कि डील के दौरान तत्कालीन रक्षा अधिकारियों, नौकरशाह, मीडियाकर्मियों और सत्ताधारी दल के अहम लोगों को पैसे दिए गए थे।

अफसरों नेताओं को 233 करोड़ रुपए दिए गए
चार्जशीट में यह भी कहा गया- बजट शीट के मुताबिक डील को अगस्ता वेस्टलैंड के पक्ष में करने के लिए एयरफोर्स के अधिकारियों, नौकरशाह और राजनेताओं को 30 मिलियन यूरो (करीब 233 करोड़ रुपए) दिए गए।

ईडी ने बताया कि क्रिश्चियन मिशेल बजट शीट में उल्लिखित कई संक्षिप्त नामों (एब्रीविएशन) का खुलासा किया। उसने एपी को अहमद पटेल और फैम का मतलब फैमिली (परिवार) बताया।

मिशेल के हवाले से चार्जशीट में यह भी कहा गया, ‘‘मैं यह नहीं कह सकता कि हैश्के क्या सोच रहा था। जितना मैं अंदाजा लगा सकता हूं, उसके मुताबिक वह अहमद पटेल के बारे में बात कर रहा था।’’ ईडी ने अगस्ता मामले में एक अन्य आरोपी राजीव सक्सेना के हवाले से भी बताया कि उसने में एपी का मतलब अहमद पटेल ही कहा।

मिशेल पर 225 करोड़ रु. की दलाली का आरोप

मिशेल को दिसंबर में दुबई से प्रत्यर्पित कर लाया गया। ईडी की पूछताछ शुरू होने से पहले उस पर वीवीआईपी हेलिकॉप्टर सौदे में 225 करोड़ रुपए की दलाली लेने का आरोप था। इस मामले में पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी भी आरोपी हैं।

मिशेल के खिलाफ 24 सितंबर 2015 को गैर जमानती वॉरंट जारी किया गया था। फरवरी 2017 में उसके खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था। मिशेल को दुबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद से वह यूएई की जेल में ही था।

मिशेल पर आपराधिक साजिश का आरोप लगा था, जिसमें एसपी त्यागी, उनके परिवार के सदस्यों और अफसरों को भी शामिल किया गया था। यह भी कहा गया कि अधिकारियों ने अपने पद का गलत इस्तेमाल करके 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर के लिए सर्विस सीलिंग 6 हजार मीटर से 4500 मीटर तक कम करा ली थी।

रक्षा सौदों में बिचौलिए की भूमिका निभाता था मिशेल
मिशेल अगस्ता वेस्टलैंड में 1980 से काम कर रहा था। उसके पिता भी कंपनी में भारतीय क्षेत्र के मामलों के लिए सलाहकार रहे थे। सीबीआई का कहना है कि मिशेल का भारत का काफी आना-जाना था। वह रक्षा सौदों में वायुसेना और रक्षा मंत्रालय के बीच बिचौलिए की भूमिका निभाता था।