Thursday, January 24, 2019

चुनावी मजबूरी नहीं होती तो दावोस के मंच पर इस साल भी नजर आते पीएम मोदी?

स्विटजरलैंड के स्की रिसॉर्ट सिटी दावोस में वैश्विक रईसों का महामंच सजा है. इस मंच पर दुनिया के शीर्ष 1000 सीईओ और लगभग 100 देशों के प्रमुख शिरकत कर रहे हैं. पिछले साल पूरे लाव-लश्कर के साथ देश के शीर्ष 100 कारोबारियों को लेकर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के 48वें सम्मेलन में दावोस पहुंचे नरेन्द्र मोदी इस साल 49वें सम्मेलन में शरीक नहीं हो रहे हैं. वजह भी साफ है. देश में चुनावी संग्राम का बिगुल बजने जा रहा है और अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान विदेश यात्राओं के लिए आलोचना झेल चुके प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष को ऐसा कोई मुद्दा नहीं देना चाहते जिसे असफलताओं की सूची में शुमार कर लिया जाए.

साल 2018 में दावोस में सजे इसी वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मंच से प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान भारत की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए ऐलान किया कि 2025 तक भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगी. इस दावे के साथ प्रधानमंत्री ने दुनियाभर से एकत्र हुए कारोबारियों और सरकारों से भारत में बड़ा निवेश लाने की पेशकश की. मोदी ने मंच से पूरी दुनिया को आश्वस्त किया कि ईज ऑफ डूईंग बिजनेस इंडेक्स में उंची मिलने के बाद भारत वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में एक मात्र चमकता सितारा है.

दावोस 2018 में PM मोदी ने दिखाया दम, जानें 15 खास बातें

मोदी ने पूरी दुनिया को यह भी याद दिलाया कि तेज आर्थिक ग्रोथ के साथ वैश्विक पटल पर भी भारत सबका साथ सबका विकास नीति चलने के लिए तैयार है. लिहाजा, सफल आर्थिक सुधारों के बाद भारत वैश्विक निवेश का सबसे कारगर क्षेत्र बन चुका है. मोदी ने मंच से दिए अपने भाषण में कहा कि उनकी सरकार ने सफलतापूर्वक लालफीताशाही को खत्म कर दिया है और वैश्विक निवेश को आकर्षित करने के लिए 1,400 नियम और कानून को खत्म कर दिया जिससे देश में स्वतंत्र कारोबार को बढ़ावा दिया जा सके.

बजट 2018 से पहले दावोस में दम दिखाएंगे PM, विदेशी निवेश सबसे बड़ा टारगेट

गौरतलब है कि 1971 से प्रतिवर्ष आयोजित इस सम्मेलन में दुनियाभर की सरकारों के प्रमुख समेत हजारों की संख्या में सीईओ और आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक समेत अन्य वैश्विक संस्थाओं के प्रमुख शिरकत करते हैं. तीन से चार दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन के विषय पर जानकारों का मानना है कि यह वैश्विक स्तर पर रईसों का क्लब है और इस सम्मेलन के दौरान वैश्वीकरण की नीतियों के साथ-साथ कई वैश्विक चुनौतियों से एक साथ मिलकर लड़ने की गैर-अधिकारिक रणनीति तैयार होती है. वहीं वैश्विकरण के उद्देश्य पर ही इस सम्मेलन के दौरान दुनियाभर के देश अपने लिए बड़े निवेश की संभावनाओं को भी तलाश करते हैं.

2019 की सबसे बड़ी 'लड़ाई' होने में अब चंद दिन शेष हैं. सभी दल पूरी तैयारी में जी-जान से जुटे हैं. बीजेपी, कांग्रेस के साथ-साथ सपा-बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों ने भी तीसरे मोर्चे को तगड़े दावेदार के रूप में खम ठोक दिया है. सभी दलों की तैयारी के बीच इस समय देश की जनता का मूड जानने के लिए आज तक ने कार्वी इनसाइट्स के साथ सर्वे किया है. 28 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच 20 लोकसभा क्षेत्रों में हुए सर्वे में 2478  लोगों से उनकी राय ली गई. एक नजर में इस सर्वे की बड़ी बातों को जानने के लिए देखें ये स्लाइड्स.

Wednesday, January 16, 2019

सरकार बताएगी बजट की हर बात, शुरू हुई ये पहल

देश का अंतरिम बजट पेश होने में अब चंद दिन बचे हैं. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले  पेश होने वाला यह बजट काफी अहम माना जा रहा है. बजट में लोगों को क्‍या मिलने वाला है यह तो 1 फरवरी को अरुण जेटली लोकसभा में बताएंगे.  लेकिन उससे पहले बजट के बारे में आम लोगों की समझ बढ़ाने के लिए सरकार ने एक खास पहल की है.  इसके तहत बजट से जुड़ी हर बात आपको समझ में आएगी.  आइए जानते हैं कि क्‍या है वो खास पहल.

दरअसल, वित्‍त मंत्रालय की ओर से ‘अपने बजट को जानिये’ सोशल मीडिया पर एक खास सीरीज की पहल की गई है. इस सीरीज में बजट से जुड़े विभिन्न शब्दों के बारे में जानकारी दी गई है.  इस सीरीज में केन्द्र सरकार के बजट की अहमियत के बारे में बताया जाएगा.  इसके अलावा बजट बनाने की प्रक्रिया की भी पूरी जानकारी दी जायेगी. यह सिलसिला 31 जनवरी तक चलेगा.   बता दें कि सरकार एक फरवरी को 2019- 20 का अंतरिम बजट पेश करेगी.

मंगलवार को क्‍या बताया था

वित्त मंत्रालय के ट्विटर हैंडल पर मंगलवार से शुरू की गई इस सीरीज में पहली जानकारी आम बजट और वोट ऑन अकाउंट यानि लेखानुदान की जानकारी दी गई थी.  मंत्रालय ने आम बजट के बारे में बताया है कि बजट केंद्र सरकार के फाइनेंशियल ट्रांजेक्‍शन की जानकारी देने वाली सबसे विस्तृत रिपोर्ट है. इसमें सरकार को सभी सोर्सेज से प्राप्त होने वाले रेवेन्‍यू और विभिन्न गतिविधियों के लिए आवंटित खर्चे की जानकारी होती है. बजट में सरकार के अगले फाइनेंशियल ईयर के इनकम और खर्चे के अनुमान भी दिये जाते हैं जिन्हें बजट अनुमान कहा जाता है.

वहीं इस सीरीज में लेखानुदान के बारे में जानकारी देते हुये कहा गया है कि यह संसद की ओर से अगले फाइनेंशियल ईयर के एक हिस्से में किए जाने वाले खर्च की एडवांस अनुमति देता है. इसके अलावा वित्‍त मंत्रालय के ट्वीटर पर बुधवार को रेवेन्‍यू और आउटकम बजट के बारे में जानकारी दी गई.   बता दें कि अगले कुछ महीने में आम चुनाव होने वाले हैं इसलिये इस बार अंतरिम बजट ही पेश किया जायेगा. चुनाव होने के बाद नई सरकार ही अंतिम बजट पेश करेगी.

मायावती का कहना था कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि बीजेपी उन्हें घर न सके. हालांकि अखिलेश यादव और मायावती ने लिखे हुए भाषण पढ़े. इससे इतना तय है कि दोनों ने एक-दूसरे के भाषण भी देखे होंगे. लेकिन अखिलेश ने मायावती को रिसीव किया, उन्हें पहले बोलने का मौका दिया. राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक इससे ऐसा लग रहा था कि मायावती गठबंधन में बड़ी भूमिका में हैं. मायावती खुद भी इस गठबंधन की नेता के तौर पर अपने को आगे रख रही हैं.

अगर, दूसरे प्रदेशों में बसपा और मायावती की स्वीकृति की बात की जाए तो कई अन्य नेताओं की अपेक्षा माया का पलड़ा भारी दिखाई देता है. कर्नाटक में उन्होंने जेडीएस के साथ गठबंधन किया था और एक सीट जीतने में कामयाब हुई थीं. लेकिन निकाय चुनाव में बीएसपी ने 13 सीटें जीतकर यह अहसास करा दिया कि कर्नाटक में भी बसपा का वोट बैंक है.

इसी तरह, मध्य प्रदेश में भी बसपा में 2 विधायक सीट निकालने में सफल रहे. मायावती ने बिना किसी शर्त के कांग्रेस सरकार को समर्थन देने की घोषणा कर बड़प्पन का परिचय दे दिया. इसी तरह राजस्थान की बात करें तो विधानसभा चुनाव में बसपा ने अधिकतर सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और पार्टी 6 सीटें जीतने में सफल रही. यहां भी बसपा ने बिना किसी शर्त के अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार को समर्थन दे दिया.

हालांकि बाद में मायावती ने कहा था कि अगर भारत बंद में शामिल लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं लिए गए तो वह समर्थन देने के बारे में पुनर्विचार कर सकती हैं,  लेकिन अशोक गहलोत सरकार ने इसके बाद मुकदमे वापस लेने की कार्रवाई शुरू कर दी. इस तरह देखा जाए तो गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस गठबंधन बनाने की ओर अग्रसर कोई नेता मायावती के बराबर की पकड़ दूसरे राज्यों में नहीं रखता. चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी का अस्तित्व केवल आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ही है.

Monday, January 14, 2019

नक्सलियों ने धमकी दी थी: हादसे के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष, पुलिस ने कहा- बढ़ाई थी सुरक्षा

मध्यप्रदेश की विधानसभा उपाध्यक्ष और लांजी विधायक हिना कांवरे रविवार देर रात सड़क दुर्घटना में बाल-बाल बच गईं। उनकी कार के आगे चल रहे पुलिस वाहन को सामने से आ रहे ट्राले ने जोरदार टक्कर मारी। हादसे में कार ड्राइवर और तीन पुलिसकर्मियों की मौके पर ही मौत हो गई। गंभीर रूप से जख्मी एक पुलिसकर्मी को नागपुर रेफर किया गया है। कावरे ने कहा कि उन्हें 2 बार नक्सलियों ने धमकाया था।

कांवरे विधानसभा उपाध्यक्ष बनने के बाद पहली बार बालाघाट आ रही थीं। बालाघाट से करीब 21 किलोमीटर दूर सालेटेका गांव के पास उनके फॉलो वाहन को ट्राले ने टक्कर मारी। ठीक पीछे चल रही हिना की गाड़ी को उनके ड्राइवर ने सूझ-बूझ से बचाते हुए आगे निकाल लिया।

असामाजिक तत्व ने भेजी चिट्ठी- पुलिस

पुलिस अधीक्षक ए जयदेवन ने बताया- हिना कावरे को धमकी भरी पहली चिट्ठी 31 दिसंबर को और दूसरी चिट्ठी 10 जनवरी को मिली थी। कावरे ने इस संबंध में पुलिस में शिकायत भी की थी। उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। लेकिन, पहली नजर में ऐसा नहीं लग रहा है कि नक्सलियों ने यह चिट्ठी भेजी है। यह खत किसी असामाजिक तत्व के द्वारा बालाघाट से पोस्ट किया गया है।

उन्होंने कहा- घटना के बाद ट्रक चालक भाग गया था। उसकी पहचान कर ली गई है। राज्य सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। हिना के पिता और पूर्व मंत्री लिखीराम कांवरे की 1999 में उनके घर पर नक्सलियों ने गला रेतकर हत्या कर दी थी।

जवानों के परिवारों को मिलेगी एक करोड़ की आर्थिक मदद

दुर्घटना में जान गंवाने वाले तीनों पुलिसकर्मियों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए की आर्थिक मदद और अनुकंपा नियुक्ति दी जाएगी। मृतकों में एसआई हर्षवर्धन सोलंकी, हेड कॉन्स्टेबल हामिद शेख, सिपाही राहुल कोलारे और ड्राइवर सचिन शामिल हैं। सिपाही अमित कोरव को नागपुर रेफर किया गया है।

कांग्रेस ने बताया था निजता पर प्रहार

इस मामले में कांग्रेस ने कहा था कि अबकी बार मोदी सरकार ने निजता पर वार किया है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि देश को एक पुलिस राज्य में बदला जा रहा है। यह समस्या का हल नहीं है। एक अरब से ज्यादा भारतीयों के बीच साबित हो गया कि आप (नरेंद्र मोदी) एक असुरक्षा महसूस करने वाले तानाशाह हैं। इस पर सरकार ने जवाब दिया कि कंप्यूटर डेटा की जांच के नियम यूपीए सरकार के समय साल 2009 में बने थे। अब सिर्फ संबंधित एजेंसियों को नोटिफिकेशन जारी किया गया है।

क्या है आईटी एक्ट की धारा-69 ?
इसके मुताबिक अगर केंद्र सरकार को लगता है कि देश की सुरक्षा, अखंडता, दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्त बनाए रखने या अपराध रोकने के लिए किसी डेटा की जांच की जरूरत है तो वह संबंधित एजेंसी को इसके निर्देश दे सकती है।

शाही स्नान : 15, 21 जनवरी, 4,10,19 फरवरी, 4 मार्च
इतिहास : प्रयाग कुंभ का लिखित इतिहास में जिक्र गुप्तकाल में (चौथी से छठी सदी) मिलता है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने किताब में कुंभ का जिक्र किया। वह 617 से 647 ईसवीं तक भारत में रहे थे। लिखा है कि प्रयाग में राजा हर्षवर्धन ने अपना सब कुछ दान कर राजधानी लौट जाते हैं।

Monday, January 7, 2019

इस्लाम और देश छोड़ने वाली सऊदी युवती को नहीं भेजा जाएगा वापस

थाईलैंड पुलिस ने कहा है कि वे अपने घर से भागकर आई सऊदी अरब की एक युवती को वापस उनके घरवालों के पास डिपोर्ट नहीं करेंगे.

थाईलैंड के इमिग्रेशन अधिकारियों ने पहले 18 वर्षीया रहाफ़ मोहम्मद अल-क़ुनून को कुवैत भेजने की कोशिश की थी जहाँ उनके घरवाले मौजूद हैं.

मगर अब अधिकारियों ने कहा है कि उनकी सुरक्षा के लिहाज़ से उन्हें डिपोर्ट नहीं किया जाएगा.

इस युवती का कहना है कि उन्हें डर है कि उसके घरवाले उसे मार डालेंगे क्योंकि उन्होंने इस्लाम त्याग दिया था.

रहाफ़ कुवैत से भागकर बैंकॉक आ गई थीं जहाँ से वो ऑस्ट्रेलिया जाना चाहती थीं मगर वहाँ हवाई अड्डे पर सऊदी अधिकारियों ने उनका पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया.

इसके बाद उन्हें दोबारा कुवैत भेजने की कोशिश की गई मगर उन्होंने अपने आपको एयरपोर्ट पर ही एक होटल में बंद कर लिया और वहाँ से वो सोशल मीडिया और फ़ोन के ज़रिए मदद लेने की कोशिश करने लगीं.

उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए कहा, "मेरे भाई और परिवार और सऊदी दूतावास के लोग कुवैत में मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे. मेरी जान ख़तरे में है. मेरे घरवाले किसी भी छोटी बात पर मेरी जान लेने की धमकी देते रहते हैं."

उनके संदेशों के बाद कई मानवाधिकार संगठनों ने भी उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी.

रहाफ़ ने कहा कि वो तब तक अपने होटल के कमरे से नहीं निकलेंगी जब तक कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी से नहीं मिलने दिया जाता.

यूएनएचसीआर की हेड ऑफ़ कम्युनिकेशंस मेलिसा फ़्लेमिंग ने ट्वीट किया है कि बैंकॉक में उनकी टीम रहाफ़ से मिल रही है.

थाईलैंड की इमिग्रेशन पुलिस के प्रमुख सुराचाते हकपर्न ने भी सोमवार को कहा,"वो अब थाईलैंड के अधिकार क्षेत्र में हैं, कोई व्यक्ति या कोई भी दूतावास उन्हें कहीं और जाने के लिए दबाव नहीं डाल सकता".

रहाफ़ मोहम्मद अल-क़ुनून का कहना है कि वो शनिवार को जैसे ही बैंकॉक पहुँचीं, एक सऊदी राजनयिक ने उनका पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया जिससे वो फ़्लाइट से उतरते वक़्त मिली थीं.

फिर रविवार को थाई अधिकारियों ने कहा कि उन्हें डिपोर्ट किया जाएगा क्योंकि उनके पास थाई वीज़ा नहीं है.

हालाँकि रहाफ़ का कहना था कि वो तो बस बैंकॉक के रास्ते ऑस्ट्रेलिया जा रही थीं और उनके पास ऑस्ट्रेलिया का वीज़ा है.

वहीं बैंकॉक में सऊदी दूतावास के अधिकारियों का कहना था युवती को एयरपोर्ट पर इसलिए रोका गया "क्योंकि उनके पास वापसी का टिकट नहीं था और उन्हें सोमवार को कुवैत वापस भेज दिया जाएगा, जहां उनके परिवार के लोग मौजूद हैं."