Monday, March 25, 2019

जेट एयरवेज के बोर्ड से नरेश गोयल, पत्नी अनीता गोयल ने इस्तीफा दिया

मुंबई. आर्थिक संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के बोर्ड से नरेश गोयल और पत्नी अनीता गोयल ने इस्तीफा दे दिया है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है कर्जदाताओं के साथ रेजोल्यूशन प्लान के लिए सोमवार को हुई बोर्ड बैठक में यह फैसला लिया गया। जेट एयरवेज पर 8000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। एयरलाइन को दिवालिया होने से बचाने के लिए उसे नकदी की जरूरत है। बैंकों ने पिछले हफ्ते संकेत दिए थे कि जेट के मैनेजमेंट में बदलाव होने पर वो एयरलाइन में और नकदी लगा सकते हैं।

जेट के पायलट्स, इंजीनियर को 3 महीने से सैलरी नहीं मिली

जेट एयरवेज के पायलट्स और इंजीनियर्स को 3 महीने से सैलरी नहीं मिली है। पायलट्स ने 31 मार्च तक वेतन नहीं मिलने पर 1 अप्रैल से उड़ान नहीं भरने की चेतावनी दी है। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक पिछले हफ्ते यह खबर आई कि सरकार ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे जेट एयरवेज को बचाने के लिए हर संभव कोशिश करें। बैंकों ने संकेत दिए थे कि जेट के मैनेजमेंट में बदलाव होने पर वे ऐसा कर सकते हैं।

13 अंतरराष्ट्रीय रूट पर उड़ानें बंद

लीज रेंट नहीं चुका पाने की वजह से जेट के 54 विमान खड़े हो चुके हैं। एयरलाइन ने पिछले हफ्ते 13 अंतरराष्ट्रीय रूट पर अप्रैल अंत तक के लिए उड़ानें रद्द करने का ऐलान किया था। सात अंतरराष्ट्रीय रूट पर उड़ानों की संख्या पहले ही कम की जा चुकी है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर जेट एयरवेज दिवालिया होती है तो 16,500 लोगों की नौकरी जा सकती है। सरकार लोकसभा चुनाव को देखते हुए ऐसा नहीं चाहती है। इससे सरकार की साख को नुकसान हो सकता है।

नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनीता गोयल ने फुल सर्विस एयरलाइन जेट एयरवेज की स्थापना 25 साल पहले 1993 में की थी। एतिहाद एयरवेज की जेट में 24% की हिस्सेदारी है।

आर्थिक संकट में कैसे फंसी जेट एयरवेज ?
बीते कुछ सालों में दूसरी एयरलाइन से प्रतिस्पर्धा में जेट ने किराए कम किए। लुभावने ऑफर पेश किए जबकि उतना मुनाफा नहीं हो रहा था। ब्रेंट क्रूड की कीमत में पिछले साल भारी उछाल आया। इसलिए, जेट का हवाई खर्च बढ़ा। डॉलर के मुकाबले रुपया भी पिछले साल रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था। इसलिए, एयरलाइन का विदेशी मुद्रा खर्च बढ़ गया। इन वजहों से जेट को 2018 की तीन तिमाही (जनवरी-मार्च, अप्रैल-जून, जुलाई-सितंबर) में कुल 3,620 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।

कांग्रेस ने अपने मुस्लिम प्रत्याशियों के जरिए सपा-बसपा गठजोड़ का करारा जवाब दिया था. कांग्रेस ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. मुरादाबाद, बिजनौर, सहारनपुर और अमरोहा चार ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां से कांग्रेस ने मुस्लिम चेहरों को मौका दिया है. मुरादाबाद से इमरान प्रतापगढ़ी, बिजनौर से नसीमुद्दीन सिद्दीकी, सहारनपुर से इमरान मसूद और अमरोहा से राशिद अलवी को टिकट दिया गया है. ये चारों सिर्फ प्रत्याशी भर नहीं हैं, बल्कि इनकी अपनी अलग खास पहचान भी है. अब इनमें से एक राशिद अल्वी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता राशिद अल्वी पूरे देश में अपनी पहचान रखते हैं.

राशिद के चुनाव नहीं लड़ने से कांग्रेस को बड़ा झटका

अब तक मायावाती लगातार कांग्रेस पर हमले कर रही थीं. इसके जवाब में कांग्रेस ने चार मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतार दिए थे. राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो जिन लोकसभा सीटों पर 20 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है, और वहां गठबंधन का कोई मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है, वहां कांग्रेस ने अपने मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार उतारने की रणनीति अपनाई है. लेकिन राशिद अगर चुनाव नहीं लड़ेंगे तो मायावती की पार्टी बसपा के अमरोहा प्रत्याशी दानिश अली के जीतने की उम्मीद बढ़ जाएंगी. पश्चिमी यूपी में कांग्रेस के मुस्लिम उम्मीदवारों वाली रणनीति सपा-बसपा गठबंधन को नुकसान पहुंचाने वाली थी, लेकिन अब राशिद अल्वी के जाने के बाद गठबंधन को अच्छा मौका मिल सकता है.

चारों सीटों पर मुस्लिम मतदाता सबसे बड़ा निर्णायक

पश्चिमी यूपी के चारों लोकसभा क्षेत्रों में मुसलमान वोट न सिर्फ निर्णायक भूमिका में है, बल्कि वह नेतृत्व करता भी नजर आता है. मुरादाबाद सीट पर 45 फीसदी, बिजनौर सीट पर 38 फीसदी, सहारनपुर सीट पर 39 फीसदी और अमरोहा सीट 37 फीसदी मुसलमान है.

Monday, March 18, 2019

न्यूज़ीलैंड में दो मस्जिदों पर हुए हमलों को कुछ ऐसे अंजाम दिया गया

न्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च की दो मस्जिदों पर शुक्रवार को हमला हुआ जिसमें कम से कम 50 लोगों की मौत हुई और 50 के घायल होने की ख़बर है.

दो लोगों की स्थिति गंभार बताई जा रही है.

इस हमले को देश के इतिहास का अब तक का सबसे घातक हमला बताया जा रहा है. प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने इसे न्यूज़ीलैंड के इतिहास का "काला दिन" कहा है.

ये हमला कैसे हुआ, इसके बारे में जो जानकारी मौजूद है उसके अनुसार सबसे पहले गोलीबारी अल नूर मस्जिद में हुई जो कि क्राइस्टचर्च शहर के केंद्र में है.

हमला ब्रेन्टन टैरन्ट नाम के 28 साल के एक व्यक्ति ने किया जिसने हमले में कुल पांच बंदूकों का इस्तेमाल किया.

पुलिस का कहना है कि उन्हें लगता है कि ऑस्ट्रेलियाई नागरिकब्रेन्टन टैरन्ट ने अकेले इस हमले को अंजाम दिया है.

ब्रेन्टन को नस्ल के आधार पर, श्वेत राष्ट्रवाद और अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से प्रेरित बताया जा रहा है.

ब्रेन्टन ने गोलीबारी का पूरा वीडियो सोशल मीडिया फ़ेसबुक पर लाइवस्ट्रीम किया, जिसके लिए सिर पर लगे कैमरे यानी हेड माउन्ट कैमरे की मदद ली गई है.

सोशल मीडिया पर मौजूद वीडियो में हाथों में एक सेमी-ऑटोमेटिक बंदूक ले कर मस्जिद के भीतर जाता ये व्यक्ति सामने आने वाले हर किसी पर लगातार गोलियां बरसाता दिखता है.

हैडकैम का वीडियो अल नूर मस्जिद के पश्चिम में लेज़ली हिल्स ड्राइव में एक औद्योगिक इलाके से शुरु होता है. हमलावर इसके बाद मान्डेविल स्ट्रीट की तरफ से होते हुए ब्लेनहिम सड़क पर आता है और फिर डीन्स अवेन्यू के उत्तर की तरफ जाता है.

पहला हमला - अल नूर मस्जिद, 41 की मौत

कुछ मिनटों में हमलावर मस्जिद पहुंचता है. वो सड़क के किनारे डीन्स अवेन्यू की तरफ कार मोड़कर इसे पार्क करता है.

हमलावर कार से बाहर निकल कर कार की डिक्की खोलता है और डिक्की में रखे हथियारों में से कुछ चुनता है. इसके बाद वो अल नूर मस्जिद की इमारत की तरफ रुख़ करता है और गोलियां बरसाता हुआ मस्जिद में दाख़िल होता है.

इस वक्त स्थानीय समयानुसार करीब 13.40 बजे थे.

छह मिनट बाद वो डीन्स अवेन्यू से कार लेकर पार्क (बोटानिकल गार्डन) से होता हुआ बेली अवेन्यू पहुंचता है. यहां हैडकैम से आने वाला वीडियो फुटेज बंद हो जाता है.

पहले हमले के कुछ देर बार दूसरा हमला लिनवुड मस्जिद पर होता है जो अल नूर मस्जिद के करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर है.

शुक्रवार का दिन होने के कारण इस वक्त मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के लिए लोग जमा थे. गोलियों की आवाज़ सुनने के बाद अधिकारी 13.40 को हरकत में आए.

दोपहर के 14.11 तक अधिकारियों ने पुष्टि कर दी कि हालात और बिगड़ सकते हैं और आसपास से स्कूलों को कुछ देर के लिए बंद करने के आदेश दिए गए.

हेडकैम से मिली तस्वीरों में देखा जा सकता है कि हमलावर जैसे-जैसे एक कमरे से दूसरे कमरे की तरफ बढ़ता रहा, वो लोगों पर नज़दीक से लगातार गोलियां बरसाता रहा. उसने घायलों पर भी गोलियां चलाईं.

एक प्रत्यक्षदर्शी ने स्थानीय मीडिया को बताया कि वो अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रहे थे और मस्जिद के भीतर फर्श पर ख़ून से लथपथ लोग पड़े थे.

पहला हमला - लिनवुड मस्जिद, 8 की मौत (एक व्यक्ति ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ा)

क्राइस्टचर्च के रिहाईशी इलाके के पास मौजूद लिनवुड मस्जिद पर हुए हमले के बारे में फ़िलहाल कम ही जानकारी सामने आई है.

हमले में बचे लोगों ने स्थानीय मीडिया को बताया है कि काले रंग की हेलमेट पहने एक व्यक्ति ने मस्जिद के भीतर गोलियां चलाईं. जिस वक्त हमला हुआ उस वक्त मस्जिद में क़रीब 100 लोग नमाज़ पढ़ने आए थे.

पुलिस कमीश्नर माइक बुश का कहना है कि "दोनों हमलों को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया है".

पुलिस ने दोनों मस्जिदों के नज़दीक से हथियार बरामद किए हैं. पुलिस का कहना है कि उन्हें हमलावर की कार में दो विस्फोटक भी मिले थे जिन्हें सेना ने निष्क्रिय किया.

Friday, March 15, 2019

6 महीने बाद 38 हजार के पार बंद हुआ सेंसेक्‍स, निफ्टी में भी रौनक

सप्‍ताह के आखिरी कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर बढ़त देखने को मिली. शुक्रवार को सेंसेक्स 269.43 अंक चढ़कर 38,024.32 के स्‍तर पर जबकि निफ्टी 83.60 की बढ़त के साथ 11,426.85 अंक पर बंद हुआ. शेयर बाजार के लिए यह 6 महीने का हाई है. इससे पहले सेंसेक्स गुरुवार को 2.72 अंक यानी 0.01 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 37,754.89 अंक पर बंद हुआ था.

गुरुवार को इंडसइंड बैंक, यस बैंक, कोटक बैंक और एचडीएफसी के शेयर में बढ़त जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक, टीसीएस, इन्फोसिस और एचसीएल टेक जैसी बड़ी कंपनियों के शेयर में गिरावट दर्ज की गई.

शेयरों का हाल

शुक्रवार के कारोबार में जिन शेयरों में तेजी आई है, उनमें कोटक बैंक, ओएनजीसी, पावर ग्रिड, टीसीएस, एनटीपीसी, एसबीआईएन, एचसीएल, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फाइनेंस, इन्‍फोसिस, बजाज फाइनेंस, इन्‍फोसिस, एलएंडटी और एचडीएफसी बैंक है. वहीं लाल निशान पर बंद होने वाले शेयर एचयूएल, एशियन पेंट, टाटा स्‍टील, सनफार्मा, हीरो मोटोकॉर्प, एक्‍सिस बैंक, रिलायंस, आईटीसी, भारती एयरटेल, यस बैंक हैं. एचयूएल के शेयर में सबसे ज्‍यादा 2.23 फीसदी का नुकसान हुआ. वहीं यस बैंक के शेयर में करीब 2 फीसदी की गिरावट आई है. 

इस हफ्ते 1352 अंक मजबूत हुआ सेंसेक्‍स

इस सप्‍ताह सेंसेक्‍स में 1300 अंकों से ज्‍यादा की बढ़ोतरी देखने को मिली है. बीते सप्‍ताह के आखिरी कारोबारी दिन सेंसेक्‍स 36,671.43 अंक पर बंद हुआ ज‍बकि इस हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन यानि आज सेंसेक्‍स 38,024 के स्‍तर पर है. इस लिहाज से सिर्फ 5 कारोबारी दिन में सेंसेक्‍स  1352 अंक मजबूत हुआ है. बता दें कि बीते रविवार को चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है. इस ऐलान के बाद देश के तमाम सर्वे में मोदी सरकार की वापसी के कयास लगाए गए हैं. इस वजह से निवेशकों में भी उत्‍साह बढ़ा है और बाजार की रौनक में तेजी आई है.

इस बीच घरेलू शेयर बाजारों में शुरुआती बढ़त और विदेशी पूंजी के निरंतर निवेश से रुपया अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले 20 पैसे चढ़कर 69.14 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंच गया. बता दें कि बृहस्पतिवार को रुपया 20 पैसे बढ़कर 69.34 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.पिछले 4 कारोबारी दिन की बात करें तो रुपया 80 पैसे मजबूत हो चुका है.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने लोकसभा चुनाव के लिए 5 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. पांच उम्मीदवारों में नासिक से पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल के भतीजे समीर भुजबल को टिकट दिया गया है. इसके अलावा मावल सीट से पार्थ अजित पवार को टिकट मिला है, जो कि महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री और पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के भतीजे हैं.

इसके अलावा एनसीपी ने बीड लोकसभा सीट से बजरंग सानोवने, दिंडोरी से धनराज महाने और शिरूर से मराठी फिल्मों के अभिनेता अमोल कोल्हे को चुनावी समर में उतारा है. पार्टी की ओर से गुरुवार को 10 उम्मीदवारों के नाम के साथ पहली लिस्ट भी जारी की गई है. इस लिस्ट में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को बारामती सीट से उम्मीदवार बनाया गया है.

एनसीपी की पहली लिस्ट में रायगढ़ से सुनील तटकरे, बारामती से सुप्रिया सुले, सातारा से उदयनराजे भोसले, कोल्हापुर से धनंजय महाडिक, जलगाव से गुलाबराव देवकर, परभणी से राजेश विटेकर, मुंबई उत्तर पूर्व से संजय दीना पाटिल, ठाणे से आनंद परांजपे, कल्याण से बाबाजी पाटिल, लक्षद्वीप से मोहम्मद फैज़ल को टिकट दिया गया है. इसके अलावा हाथकनंगले लोकसभा सीट स्वाभिमान शेतकरी संगठन के लिए छोड़ी गई है.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में एनसीपी ने यूपीए गठबंधन में रहकर चुनाव लड़ा था और पार्टी को कुल 6 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इस बार भी एनसीपी केंद्र में कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ रही है. महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों पर 4 चरणों में 11 अप्रैल से लेकर 29 अप्रैल तक वोट डाले जाने हैं. लोकसभा चुनावों के नतीजे 23 मई को घोषित किए जाएंगे.

Monday, March 11, 2019

कांग्रेस का आरोप- नोटबंदी पर सहमत नहीं थे RBI के डायरेक्टर, डाला गया दबाव

नवंबर 2016 में नोटबंदी की घोषणा के लगभग ढाई साल बाद सूचना के अधिकार कानून के जरिए जानकारी मिली है कि भारतीय रिजर्व बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में कहा गया था कि काले धन, नकली नोटों पर नोटबंदी का कोई असर नहीं होगा. कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड के नकारने के बावजूद नोटबंदी के समर्थन से साफ है कि उन पर दबाव डाला गया था.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने आरटीआई से मिली जानकारी का हवाला देते हुए कहा है कि 8 नवम्बर, 2016 को आरबीआई के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की दिल्ली में एक बैठक हुई थी, जिसमें हुई बातचीत की औपचारिक जानकारी नहीं मिली थी. लेकिन अब यह सबके सामने है. आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 561वीं बैठक में तब के गवर्नर उर्जित पटेल, वर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास भी मौजूद थे. आरबीआई की बैठक में कहा गया था कि अधिकतर कालाधन कैश में नहीं होता है. लोग उसे सोने और रियल एस्टेट के रूप में रखते हैं. आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की 561वीं बैठक में रिजर्व बैंक ने कहा था कि नोटबंदी से फर्जी नोटों के इस्तेमाल में कोई असर नहीं होने वाला.

जयराम रमेश ने दावा किया आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल 3 बार संसद की 3 समितियों के सामने आए और तीनों बैठकों में गवर्नर ने औपचारिक तौर पर ये नहीं बताया कि इस बैठक में क्या बातचीत हुई. उन्होंने कहा कि आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में रिजर्व बैंक ने कहा था कि नोटबंदी से फर्जी नोटों के इस्तेमाल में कोई असर नहीं होने वाला. इससे साफ हो जाता है कि जिन कारणों से नोटबंदी की गई थी, उन सभी कारणों को आरबीआई के सेंट्रल बोर्ड ने नकारा था. फिर भी बोर्ड द्वारा नोटबंदी का समर्थन करने से साफ है कि उन पर दबाव डाला गया था.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि अर्थव्यवस्था में जो नोट चल रहे हैं वो काफी ज्यादा हैं और हम कैशलेस, जिसे बाद में बदलकर लेस कैश कर दिया, अर्थव्यवस्था बनाना चाहते हैं. 26 महीनों की कोशिशों के बाद आरटीआई से ये जानकारी निकल कर सामने आई है. जयराम रमेश ने दावा किया कि उन्हें भरोसा है कि और भी कई सारे सच बाहर निकल कर आएंगे. क्योंकि ये सरकार जाने वाली है और सच्चाई सामने आने वाली है.

जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि पिछले ढाई वर्षों में नोटबंदी से काफी नकारात्मक असर हुआ है. असंगठित क्षेत्र के लोगों पर, ग्रामीण इलाकों में, कृषि से जुड़े लोगों पर इसका बेहद बुरा असर हुआ. नोटबंदी के निर्णय को आज भी सारा देश भुगत रहा है और ये भी साफ है कि नोटबंदी से कालेधन पर कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने कहा कि नोटबंदी निश्चित तौर पर एक ‘तुगलकी फरमान’ था, जिस पर कोई बातचीत नहीं की गई, कोई सलाह नहीं ली गई. इसके नतीजे आज भी देश भुगत रहा है.

ये ब्लास्ट हरियाणा के पानीपत जिले में चांदनी बाग थाने के अंतर्गत सिवाह गांव के दीवाना स्टेशन के नजदीक हुआ था. इस ब्लास्ट के सभी आरोपियों के खिलाफ पंचकूला की स्पेशल एनआईए कोर्ट में केस चल रहा है. इस मामले में 224 गवाहों के बयान अभियोजन पक्ष की ओर से दर्ज हुए थे. इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से कोई गवाह पेश नहीं हुआ है. इस केस में कुल 302 गवाह थे. इनमें चार पाकिस्तानी नागरिक थे.

कोर्ट की ओर से पाकिस्तानी नागरिकों को लगातार समन भेजा गया लेकिन उनमें एक भी गवाह पेश नहीं हुआ. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई आगे बढ़ाया था. 20 फरवरी 2007 को इस मामले की जांच के लिए हरियाणा पुलिस की ओर से SIT का गठन किया गया था. प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के आधार पर पुलिस ने दो संदिग्धों के स्केच भी जारी किए थे. ऐसा कहा गया था कि ये दोनों ट्रेन में दिल्ली से सवार हुए थे और रास्ते में कहीं उतर गए. इसके बाद धमाका हुआ. पुलिस ने संदिग्धों के बारे में जानकारी देने वालों को एक लाख रुपए का नकद इनाम देने की भी घोषणा की थी.

15 मार्च 2007 को हरियाणा पुलिस ने इंदौर से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया था. ये इन धमाकों के सिलसिले में की गई पहली गिरफ्तारी थी. पुलिस इन तक सूटकेस के कवर के सहारे पहुंच पाई थी. ये कवर इंदौर के एक बाजार से घटना के चंद दिनों पहले ही खरीदा गया था.

Tuesday, March 5, 2019

3 स्टार शीशमहलः जैश के टेरर कैंप में मसूद अजहर की ऐशगाह!

पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर भारतीय वायु सेना के जांबाजों ने आतंकी मसूद अजहर के जिस टेरर कैंप को तबाह किया, वो टेरर कैंप थ्री स्टार था. उसमें शीशमहल और मस्कीन महल थे. उसमें आतंकियों के लिए हर सुख सुविधा थी. इतना ही नहीं आतंकियों के टेरर कैंप तक जाता था एक नेशनल हाईवे-15 और उसी कैंप में होती थी आतंकियों की ट्रेनिंग.

जैश के सरगना आतंकी मसूद अजहर ने बालाकोट में 3 स्टार शीशमहल बना रखा था. बालाकोट के आतंकी कैंप में था शानदार इजाज़तनामा और शीश महल तक जाता था आतंक का नेशनल हाईवे-15. बालाकोट के आतंकी कैंप के ध्वस्त होने की ख़बर सारी दुनिया ने देखी. सबने देखा कि कैसे वायु सेना के जांबाजों ने आतंक की फैक्ट्री को धुआं धुआं कर दिया है.

लेकिन हम आपको आतंकी मसूद अजहर के कैंप की वो एक्सक्लूसिव सच्चाई बताने जा रहे हैं, जिसे देखकर आपकी आंखे फटी रह जाएंगी. आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि मसूद अजहर का आतंकी कैंप किसी अय्याशगाह से कम नहीं था. ऐसी कोई सुख सुविधा नहीं थी जो बालाकोट में जैश के कैंप में न रही हो.

जैश का फिदायिन टेरर कैंप

पाकिस्तान के मानसेहरा नारन जलखांड रोड पर मौजूद है जैश-ए-मोहम्मद का टेरर कैंप. और इसे कहते हैं नेशनल हाईवे 15. इस आतंकी ट्रेनिंग कैंप में 600 से ज्यादा आतंकी एक साथ 5 से 6 बड़ी-बड़ी बिल्डिंग में रहते थे. इन आतंकियों को मदरसा आयशा सादिक की आड़ में फ़िदायीन हमले करने की ट्रेनिंग दी जाती थी.

कैसे होती थी आतंकियों की भर्ती?

बालाकोट के इस आतंकी कैंप में जैश के मास्टरमाइंड किस तरीके से आतंकवादियों को ब्रेनवॉश कर उनको आतंकी ट्रेनिंग में शामिल करते थे उसका पूरा कच्चा चिट्ठा भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास मौजूद है.

मुज्जफराबाद के "सवाई नाला" में मौजूद जैश के ऑफिस में सबसे पहले आतंकियों को छांटा जाता था, फिर उनके लिए "इजाजतनामा" तैयार किया जाता था. फिर उसे मुजफ्फराबाद के सवाई नाला में मौजूद आतंकी कमांडर की साइन वाली चिट्ठी दी जाती थी. इस चिट्ठी में "अल रहमत ट्रस्ट" का स्टैंप लगा होता था. इस स्टैंप के लगे होने का मतलब था कि उस आतंकी की भर्ती जैश में हो चुकी है.

खुफिया एजेंसियों ने आजतक को जानकारी दी कि मुजफ्फराबाद के इस ऑफिस में एक रात रुकने के बाद गाड़ी के जरिए "बालाकोट" के आतंकी कैम्प में भर्ती हुए इन आतंकवादियों को ले जाया जाता था और फिर होता था उन्हें फ़िदायीन या आत्मघाती बनाने का सिलसिला शुरू.

6 एकड़ में फैले बालाकोट के इस फ़िदायीन फैक्ट्री में मुख्य ट्रेनिंग कैम्प मदरसे के पास था. इस मदरसे के दो दरवाज़े थे. इसमे "शीश महल" और "मस्कीन महल" दो अहम जगह थी. पाकिस्तानी सेना और ISI यहां रहने वाले आतंकियों को थ्री स्टार सुविधा मुहैया कराती थी, ताकि वो यहां से वापस न जा सकें. यहां आतंकियों के कमांडर के साथ-साथ मसूद अजहर और उसका भाई अब्दुल रऊफ आतंकियों का ब्रेनवॉश किया करते थे.

वहीं, पाक आर्मी के रिटायर्ड अफसर और आईएसआई के अधिकारी संयुक्त रूप से बालाकोट के इस कैंप में मौजूद आतंकवादियों को हथियारों और गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग दिया करते थे. बालाकोट के इस कैंप में 50 आतंकी हर समय ट्रेनिंग लिया करते थे. जिनमें से 20 से 25 आत्मघाती हमलावर होते थे.

आतंकवादियों को बालाकोट के जैश कैम्प में AK47, LMG, रॉकेट लॉन्चर, UBGL और हैंड ग्रेनेड चलाने की ट्रेनिंग दी जाती थी. जैश के आतंकियों को यहां पर जंगल सर्वाईवल, गोरिल्ला युद्ध, कॉम्युनिकेशन, इंटरनेट और GPS मैप की ट्रेनिंग दी जाती थी. यही नहीं आतंकियों को, तलवारबाजी, तैराकी और घुड़सवारी की ट्रेनिंग भी दी जाती थी.

बालाकोट से ट्रेंड आतंकियों को POK के रास्ते कश्मीर घाटी के कुपवाड़ा भेजा जाता था. 26 फरवरी के हमले में भारतीय युवा सेना के विमानों ने इस कैंप को नेस्तनाबूद कर दिया. अब बारी है मसूद अजहर जिसका बचना बेहद मुश्किल हो गया है.